मिट्टी देने की दुआ. Mati Dene ka dua Hindi mein post updated on [current_date]
नमस्कार दोस्तों, आज मैं आपके साथ शेयर करने जा रहा हूं कि कब्र पर मिट्टी डालने के लिए आपको जो दुआ पढ़नी चाहिए, उसका पूरा नियम और उच्चारण है, इसलिए दोस्तों मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आखिर में कब्र पर मिट्टी रखने की दुआ जरूर पढ़ें और दोस्तों मैं आपसे अनुरोध है कि ऐसी महत्वपूर्ण दुआ के बारे में जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ।
इस संसार में कोई भी स्थायी नहीं है। प्रत्येक मनुष्य नियत समय पर अल्पायु संसार को विदा करता है। क्योंकि मनुष्य का जन्म अर्थात मृत्यु निश्चित है। सर्वशक्तिमान अल्लाह पवित्र कुरान में कहता है, ‘हर जीवित चीज को मौत का स्वाद चखना है। और क़ियामत के दिन तुम्हें पूरा बदला दिया जाएगा। फिर जिसे जहन्नम से दूर रखा जाए और जन्नत में दाखिल किया जाए, वही सफल है। और सांसारिक जीवन धोखे की वस्तु के सिवा और कुछ नहीं है।’ (सूरह अल-इमरान, आयत: 185)
अल्लाह तआला भी कहता है, ‘तू चाहे कहीं भी हो, मौत तुझे पकड़ लेगी। भले ही तुम एक मजबूत किले के अंदर रहो, फिर भी।’ (सूरह अन-निसा, आयत 78)
अगर किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उसका जनाज़ा और दफ़्न ज़िंदा पर वाजिब किफाया है। जनाज़े की नमाज़ और मृतक के दफ़नाने में भाग लेने का विशेष महत्व और पुण्य है।
हज़रत अबू हुरैरा (आरए) द्वारा सुनाई गई एक हदीस में, रसूलुल्लाह (एसएडब्ल्यू) ने कहा, ‘जो कोई मुसलमान के जनाज़े में शामिल होता है और नमाज़ अदा करता है और उसे दफन भी करता है, उसे दो किरात अच्छे कर्म मिलेंगे। और जो शख़्स सिर्फ़ जनाज़े की नमाज़ अदा करे और मिट्टी न चढ़ाए तो उसे एक क़िरात मिलेगी। साथियों ने रसूलुल्लाह (स.अ. व.) से पूछा कि दो किरात की राशि कितनी होती है? उन्होंने कहा, “उहुद का प्रत्येक किरात पर्वत के समान अच्छा है।” (बुखारी: 47; मुस्लिम: 945; तिर्मिज़ी: 1040; नसाई: 1994; अबू दाऊद: 3168; इब्न माजा: 1539)
मुर्दे को दफ़नाने के लिए कब्र की लंबाई मुर्दे की ऊंचाई के बराबर होनी चाहिए। गहराई मुर्दों की आधी और चौड़ाई दो हाथ होनी चाहिए। कब्र में उतारे जाने से पहले मृतक को कब्र के किबला (पश्चिम की ओर) की ओर मुंह करके रखा जाना चाहिए। और सिर उत्तर दिशा की ओर तथा पैर दक्षिण दिशा की ओर होने चाहिए। कब्रों पर भी यही नियम लागू होता है।
कब्र को सिर की तरफ से भरना मुस्तहब है। कब्र में मिट्टी और बालू दोनों हाथों से रखने से अच्छा है। मृतक को दफनाने के दौरान पवित्र कुरान की एक आयत पढ़ी जाती है, जैसा कि हदीस से पता चलता है।
हदीस शरीफ में आई, जिसे हज़रत अबू उमामा (आरए) ने सुनाया, जिन्होंने कहा, जब पैगंबर (PBUH) की बेटी उम्म कुलसुम को कब्र में रखा गया, तो पैगंबर ने कहा,
मिट्टी देने की दुआ
مِنْهَا خَلَقْنَاكُمْ وَفِيهَا نُعِيدُكُمْ وَمِنْهَا نُخْرِجُكُمْ تَارَةً أُخْرَى . بِسْمِ اللَّهِ وَفِى سَبِيلِ اللَّهِ وَعَلَى مِلَّةِ رَسُولِ اللَّ
किसी व्यक्ति को मिट्टी देते समय ऐसा कहने का नियम यह है कि पहली बार मिट्टी देते समय ‘मिन्हा खलकनकुम’ कहें। दूसरी बार ‘वा फिहा निदुकुम’ कहना है। और तीसरी बार कहना है – ‘व मिन्हा नुख्रिज़ुकुम तारातन उखरा’। -(सुनन बैहकी, हदीस: 6973, रद्दुल मुहतर: 3/143, 154)।
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माटी देने का दवा क्या है?
ऐसी कोई हदीस नहीं है जिसमें क़ब्र
में मिट्टी डालते समय पढ़ी जाने वाली दुआ का ज़िक्र हो।
तो बस बिस्मिल्लाह कहना ही काफी है (अल-मौसुअतुल फ़िक़हियाह 8/92)।